बोनस की घोषणा नहीं, रेल कारखाना कर्मियों में रोष, इस वर्ष विश्वव्यापी मंदी के बाद भी रेलवे को फायदा,
नालन्दा (बिहार) – हरनौत स्थित सवारी डिब्बा मरम्मत कारखाना की ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी युनियन शाखा के पदाधिकारियों ने अब तक उत्पादकता आधारित बोनस की घोषणा नहीं किये जाने से नाराजगी व्यक्त की है।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार प्रति वर्ष दशहरा के पहले इसकी घोषणा की जाती थी। पर, इस वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए अभी तक कोई सुगबुगाहट नहीं है।
शाखा सचिव पुर्णानंद मिश्रा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते दुनिया भर मंदी की चपेट में हैं। पर भारतीय रेल ने माल ढुलाई में पिछले वर्ष की अपेक्षा 15 प्रतिशत की अधिक कमाई की। यह अलग बात है कि यात्री ट्रेनें नहीं चलीं। पर चलाने में जो राशि खर्च होती है। वह बची। इससे आर्थिक रुप से नाकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।
विषम परिस्थितियों में भी रेल कर्मचारी कोविड 19 स्पेशल ट्रेन व जरुरी सामग्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने कार्य में अडिग रहे।
हमने कोरोना संकट में पीपीई किट, मास्क, बेड यही नहीं, कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का काम भी किया। ऐसे में हम बोनस के हकदार हैं। इस वर्ष 78 दिनों के अधिक के बोनस की घोषणा होनी चाहिए।
इस संबंध में एआईआरएफ के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने रेल मंत्री व बोर्ड के अधिकारियों को अवगत करा दिया है। मंहगाई भत्ता के अलावा किसी भी तरह की कटौती की जाती है तो हम बगैर नोटिस के हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे।
कोषाध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में सभी कर्मचारी सातवें वेतन आयोग की सिफारिश पर वर्ष 2016 से वेतन पा रहे हैं। इसमें न्युनतम वेतन 18 हजार होने के बाद भी केंद्र सरकार पुराने न्युनतम वेतन सात हजार पर ही बोनस की घोषणा करती है। यह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।
केंद्रीय कर्मचारियों को पहले दशहरा, दीपावली, होली में फेस्टिवल एडवांस दिया जाता था। वह भी कुछ वर्षों से बंद है। इसे पुनः चालू करने की मांग भी की गई।
रिपोर्ट – गौरी शंकर प्रसाद