जाने क्या है मैं राष्ट्र का शक्ति कानून जिसमें 15 दिन में पूरी होगी दुष्कर्म की जांच


स्वराज भारत लाइव डेस्क : महाराष्ट्र सरकार ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध को रोकने के लिए शक्ति कानून को मंजूरी दी है. अगले विधानसभा सत्र में इसे पारित किए जाने की संभावना है. इस कानून के मुताबिक महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध करने वाले आरोपियों के खिलाफ 21 दिनों में कार्रवाई पूरी होगी. इसकी जांच 15 दिन में पूरा करने का नियम है. साथ ही इसमें फांसी का भी प्रावधान रखा गया है. आंध्रप्रदेश के दिशा कानून के तर्ज पर महाराष्ट्र में यह कानून बनाया गया है.
क्या है इस कानून में
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के मुताबिक, महिलाओं या बालिकाओं के ऊपर अत्याचार की स्थिति में 15 दिनों के अंदर मामले की जांच, 30 दिनों के भीतर ट्रायल खत्म कर उसका जजमेंट आ जाएगा ताकि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सके. इसमें मृत्युदंड की भी प्रस्तावना है.
आगामी विधानसभा के सत्र में इस विधेयक को सदन में पेश किया जाएगा और इसे पारित कराकर कानून का रूप दिया जाएगा.
इस महीने 14 और 15 दिसंबर को दो दिवसीय विधानसभा का सत्र होने वाला है. इसी सत्र में शक्ति विधेयक को पेश किया जाएगा. विधानमंडल के दोनों सदनों में पारित होने के बाद इस विधेयक को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद इस कानून को लागू कर दिया जाएगा. महाराष्ट्र में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार यह विधेयक लेकर आई है.
हाथरस की घटना का प्रभाव
महाराष्ट्र में इस कानून की नींव यूपी में हाथरस की घटना के बाद ही रख दी गई थी. उस वक्त अनिल देशमुख ने कहा था कि महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हो रहे अत्याचार-अपराध को रोकने के लिए एक सख्त कानून की जरूरत है. इसके बाद आंध्रप्रदेश के दिशा कानून की तर्ज पर शक्ति कानून लाने की तैयारी शुरू की गई. महाराष्ट्र सरकार ने इसका मसौदा तैयार कर विधेयक को मंजूरी दे दी है. केंद्र से मंजूरी मिलते ही यह कानून लागू हो जाएगा.
आंध्र प्रदेश की रहस्यमयी बीमारी का खुला राज, जानें किस तरह बीमार हो रहे लोग?
इस कानून के अंतर्गत ऐसी व्यवस्था की गई है कि आरोपी के खिलाफ 15 दिन में जांच पूरी कर ली जाए. ऐसे अपराधों में अक्सर देखा जाता है कि जांच की प्रक्रिया लंबे दिनों तक चलती है और जब तक फैसला आता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है. ऐसी स्थिति में न्याय का प्रभाव बहुत ज्यादा असरदार नहीं माना जाता.
आरोपियों को जल्द सजा मिलने से गुनहगारों में ऐसे अपराधों के प्रति डर का माहौल बनेगा और वे किसी आपराधिक घटना को अंजाम देने से पहले कई बार सोचेंगे. विधेयक में ऐसा प्रावधान है कि कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद 45 दिन में फाइल पूरी कर ली जाए. पहले इसकी अवधि 6 महीने थी.
जांच के लिए स्पेशल टीम
महाराष्ट्र सरकार ने इस कानून का नाम स्पेशल कोर्ट एंड मशीनरी फोर द इम्पलेमेंटेशन ऑफ शक्ति एक्ट 2020 दिया है. इसके अंतर्गत प्रदेश के हर जिले में स्पेशल कोर्ट और पुलिस की टीम बनेगी. इस टीम का काम ऐसे ही अपराधों की जांच करना होगा. शक्ति कानून पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद महाराष्ट्र सरकार को उम्मीद है कि केंद्र से भी इसका रास्ता जल्द प्रशस्त हो जाएगा.