पुराने लीची के बाग के जीर्णोद्धार को लेकर 2 दिवसीय प्रशिक्षण का अब राष्ट्रीय लीची अनुसंधान संस्थान में आयोजन
मुजफ्फरपुर । कोका-कोला इंडिया प्राइवेट लिमिटेड गुरुग्राम,हरियाणा द्वारा संपोषित ‘लीची उन्नति’ परियोजना के ही अंतर्गत “लीची के पुराने बाग का जीर्णोद्धार एवं वलयीकरण द्वारा नियमित फलन पर दो दिवसीय एक किसान प्रशिक्षण शिविर का आयोजन राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र,मुसहरी,मुजफ्फरपुर मे हुआ।इस प्रशिक्षण का आयोजन कृषि मे स्टार्ट-अप,देहात के सहयोग से की गई जो की लीची के क्षेत्र में बिहार के चार जिलो मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर वैशाली के साथ साथ ही पूर्वी चंपारण मे काम कर रही है।प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी मुजफ्फरपुर के ही निदेशक डॉ० विशाल नाथ ने कहा है कि बागवान पुराने बागों का जीर्णोद्धार कर 5 वर्षों मे 25 से 30 हजार प्रति एकड़ तक की आमदनी अर्जित कर सकते है। उन्होनें किसानो को सलाह दी कि किसी भी लीची के पुराने बाग से अब 5000 प्रति एकड़ से कम आमदनी होने पर ही जीर्णोद्धार करे।इस जीर्णोद्धार तकनीक का प्रयोग पूरे मनोयोग एवं विज्ञान सम्मत विधि द्वारा ही करे तथा समय समय पर वैज्ञानिकों कि सलाह के अनुसार कल्ले चयन, पोषण प्रबंध, छत्रक प्रबंध, कीट एवं बीमारी नियंत्रण तथा अंतर-फसल उत्पादन द्वरा पौध विकास एवं आमदनी सुनिश्चित करें।डॉ नाथ ने कहा है कि जीर्णोद्धार के उपरांत तीसरे साल से ही 25-30 किलोग्राम प्रति पेड़ फल प्राप्त होने लगेंगे।
इस जीर्णोद्धार कि तकनीक का जानकारी देते हुए केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर शेषधर पाण्डेय ने भी कहा कि जीर्णोद्धार उपरांत, वर्षा ऋतु आते ही प्रति पेड़ 1 किलोग्राम यूरिया, 2 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, एक किलोग्राम पोटाश तथा 50 किलोग्राम अच्छी सड़ी गोबर की खाद को तना से 1.5-2.0 मीटर दूर नाली विधि द्वारा प्रयोग करें।इस मौके पर केंद्र के तकनीशियन डॉ जयप्रकाश वर्मा ने पौध कि कटाई, कल्लों का विरलीकरन विधि का भी प्रदर्शन किया।वही पर इस प्रशिक्षण मे मुजफ्फरपुर समस्तीपुर,वैशाली तथा पूर्वी चंपारण करीब-करीब 25 किसानों ने भाग लिया है और किसानों को ज्यादा समस्या,फलों का छोटा होना,उत्पादन मे कमी होना एवं तोड़ाई एवं छिड़काव मे परेशानी के रूप मे बताई गई।
विशाल कुमार की रिपोर्ट