बेटा का हत्यारा बना पिता शराब नसें मे चुड़ पिता ने बेटा के पेट में घोंप दिया चाकु, इलाज दौरान हुई मोत,


बेटा का हत्यारा बना पिता शराब नसें मे चुड़ पिता ने बेटा के पेट में घोंप दिया चाकु, इलाज दौरान हुई मोत,
सुपौल :- जिन हाथों ने उँगली पकड़कर चलना सिखाया, जिन काँधों ने बचपन में सहारा दिया, आज वही बाप बेटे के लिए जी का जंजाल बन गया। जिन हाथों को बुढापे में थरथराते अपने पिता के हाथों को थामकर उनका सहारा बनना था, मगर वे ही हाथ कातिल बनकर अपने ही बेटे की जान ले बैठें, सुनकर दिल का दहलना सहज है क्योंकि यह घटना है ही इतनी असहज।


यदि एक पिता अपनी बेटे के समाने शराब पीकर नसें मे चुड़ रहेगा तो बेटे का हद से गुजरना स्वाभाविक ही है। जिस घटना को हम यहाँ रेखांकित कर रहे हैं उसने मौजूदा परिवेश में रिश्तों की पवित्रता को न केवल कलंकित किया है बल्कि समाज का एक ऐसा विद्रूप चेहरा सामने लाकर खड़ा कर दिया है, जिसने अपने पीछे कई सवालों को जन्म दिया है।


रिश्ते कच्चे धागे के समान होते हैं। जिनकों बनने में तो सालों लग जाते है पर बिगड़ने में पलभर ही लगता हैं। हमारी थोड़ी सी नासमझी में ये हमेशा के लिए टूट सकते हैं।


यह बात कोई ज्यादा पुरानी नहीं है,ताजा घटना जिले त्रिवेणीगंज त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र के महलनमा वार्ड नम्बर 13 की है,ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार मुकेश कुमार शर्मा पिता हरिनारयण शर्मा उम्र करीब 35 वर्ष बताया जा रहा है धटना तब हुई जब मुकेश कुमार शर्मा ने अपने पिता हरिनारयण शर्मा को किसी काम ले बोला था , तभी शराब की नसें मे चुड़ हरिनारयण शर्मा अपने बेटे मुकेश कुमार शर्मा को पेट में चाकू घोंप दिया, आनन फानन में ग्रामीणों त्रिवेणीगंज रेफरल अस्पताल लाया गया जहां डाँक्टर ने मुकेश कुमार शर्मा को मृतक घोषित कर दिया
,घटना की जानकारी मिलते ही थाना प्रभारी संदीप कुमार सिंह ने घटना स्थल पर पहुंच कर शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल सुपौल भेज दिया, वही थाना प्रभारी संदीप कुमार सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कलयुगी पिता हरिनारयण शर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, बताया जाता है कि मृतक मुकेश कुमार शर्मा को 06 छोटे छोटे लड़की है एक गोद में लड़का है, मृतक पत्नी और बच्चो का रो रो कर बुरा हाल है बच्चे अपने पिता को पुकार रहा है पत्नी अपने पति मुंह निहार कर रो रही है, साइद इस घटना से आपकी रूह कांप जाएंगे, आप ने सुना होगा माँ-बाप पहली पाठशाला होते हैं। जो हमें संस्कारों का पाठ पढाते हैं।


यदि वे ही माँ-बाप कुछ ऐसा कृत्य करें जिससे उनके बच्चे शर्मसार हो जाएँ तो रिश्तों में दरार पड़ना लाजिमी ही है। परंतु इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि अपने बच्चे को ही हत्या कर दे,रिश्ते कच्चे धागे के समान होते हैं। जिनकों बनने में तो सालों लग जाते है पर बिगड़ने में पलभर ही लगता हैं। हमारी थोड़ी सी नासमझी में ये हमेशा के लिए टूट सकते हैं। क्षणिक क्रोध हमें जीवनभर का दु:ख दे सकता है व हमारे प्यार-मोहब्बत से गुथे रिश्तों को एक ही झटके में बिखेर सकता है।
रिपोर्टर:- कुणाल कुमार